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विवाह विमर्श- Discussion of Marriage

Author(s): Mridula Trivedi and T. P. Trivedi
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 458
Available in: Paperback
Regular price Rs. 425.00
Unit price per

Description

विवाह विमर्श

विवाह मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण और पवित्र संस्कार है। यह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का, दो संस्कृतियों का और दो जीवन दृष्टिकोणों का एक साझा कदम होता है। भारतीय संस्कृति में विवाह को अत्यधिक सम्मान और धार्मिक महत्त्व प्राप्त है। विवाह, न केवल प्रेम और आपसी समझ का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में नैतिकता, सामाजिक जिम्मेदारी और पारिवारिक बंधन को भी मजबूत करता है।

विवाह का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण:

  1. हिंदू धर्म में विवाह:
    हिंदू धर्म में विवाह को एक धार्मिक संस्कार (सामूहिक अनुष्ठान) माना जाता है। इसे "संस्कार" कहा जाता है, जो जीवन के विभिन्न चरणों में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। विवाह का उद्देश्य केवल शारीरिक सुख प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि यह जीवन के धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए भी है।
    हिंदू विवाह संस्कार में सात फेरों (सप्तपदी) की परंपरा है, जो पति-पत्नी के बीच जीवन भर के सहयोग, समझ और समर्पण का प्रतीक है।

  2. विवाह का सामाजिक महत्त्व:
    विवाह समाज की नींव है, क्योंकि यह सामाजिक अनुशासन और नैतिकता को बनाए रखने का एक साधन है। विवाह से दो परिवारों के बीच संबंध स्थापित होते हैं और समाज में सामाजिक संतुलन बना रहता है। इसके माध्यम से स्नेह, समर्थन, और आपसी सम्मान को बढ़ावा मिलता है।

  3. विवाह और जीवन के उद्देश्य:
    भारतीय संस्कृति में विवाह को केवल एक व्यक्तिगत बंधन के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि यह जीवन के चार प्रमुख उद्देश्यों (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) में से एक के रूप में देखा जाता है। विवाह में धर्म का पालन करना, परिवार का भरण-पोषण करना और समाज में सम्मान प्राप्त करना इन उद्देश्यों में शामिल है। साथ ही, विवाह का उद्देश्य संतान उत्पत्ति और उनका सही पालन-पोषण भी होता है।

विवाह के पक्ष और विपक्ष (विवाह विमर्श):

विवाह के पक्ष:

  1. समाज में स्थिरता:
    विवाह समाज में स्थिरता लाता है, क्योंकि यह पारिवारिक बंधन और सामाजिक जिम्मेदारियों को स्थापित करता है। एक विवाहित जोड़ा समाज के लिए एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिससे समाज में अच्छे रिश्तों और समझ को बढ़ावा मिलता है।

  2. संस्कार और परंपरा का पालन:
    विवाह भारतीय परंपराओं और संस्कृतियों को सहेजने और आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह परिवारों के बीच रिश्तों को मजबूत बनाता है और पारंपरिक कर्तव्यों को निभाने का अवसर प्रदान करता है।

  3. भावनात्मक और मानसिक समर्थन:
    एक अच्छे विवाह में पति-पत्नी एक-दूसरे का भावनात्मक और मानसिक सहारा बनते हैं। जीवन की मुश्किलों में एक-दूसरे के साथ खड़ा होना, संकटों का सामना करना और खुशियों को साझा करना जीवन को आसान और खुशहाल बना देता है।

  4. संतान और परिवार का विस्तार:
    विवाह से संतान उत्पत्ति होती है, जो परिवार की विरासत को आगे बढ़ाती है। संतान का पालन-पोषण एक सामाजिक और पारिवारिक दायित्व बनता है, जो विवाह के प्रमुख लाभों में से एक है।

विवाह के विपक्ष:

  1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध:
    विवाह के बाद व्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित हो सकती है, क्योंकि उसे अपनी जिम्मेदारियों और परिवार की देखभाल के लिए एक निश्चित ढांचे में बंधना पड़ता है। यह कभी-कभी व्यक्तिगत इच्छाओं और स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है।

  2. समानता की कमी:
    कभी-कभी पारंपरिक विवाह व्यवस्था में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम अधिकार मिलते हैं। इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं को अपनी इच्छा और महत्वाकांक्षाओं को निभाने में कठिनाइयाँ आती हैं। हालांकि, यह स्थिति बदल रही है, फिर भी कई जगहों पर यह एक समस्या बनी हुई है।

  3. अत्यधिक सामाजिक दबाव:
    विवाह पर समाज का दबाव कभी-कभी व्यक्तिगत इच्छाओं के खिलाफ हो सकता है। कई बार परिवार और समाज की अपेक्षाएँ इतनी अधिक होती हैं कि लोग अपने व्यक्तिगत और मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करने लगते हैं।

  4. विवाह का टूटना (तलाक):
    विवाह के दौरान रिश्तों में समझ की कमी, संवाद की कमी, या अनमेलता के कारण तलाक की संभावना उत्पन्न होती है। तलाक से न केवल व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ता है, बल्कि यह बच्चों और परिवार पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

समाधान और सुझाव:

  1. विवाह से पहले सही समझ और संवाद:
    विवाह से पहले दोनों पार्टनर्स के बीच अच्छे संवाद और एक-दूसरे की अपेक्षाओं को स्पष्ट करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया में पारिवारिक मूल्य और व्यक्तिगत चाहतों को समझना विवाह के सफल होने की कुंजी हो सकती है।

  2. समानता और सम्मान:
    विवाह में दोनों पार्टनर्स को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता और साझेदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि दोनों एक-दूसरे के सहायक और सहयोगी बन सकें।

  3. संस्कार और शिक्षा:
    विवाह से पहले दोनों व्यक्तियों को अच्छे संस्कार और रिश्तों की महत्वपूर्ण शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। यह शिक्षा परिवार, समाज और स्कूलों से हो सकती है।

  4. धैर्य और समझ:
    विवाह में एक-दूसरे के साथ धैर्य रखना और समझ विकसित करना बहुत जरूरी है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन यदि दोनों पार्टनर्स के बीच प्यार, विश्वास और सहयोग है तो किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।