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  • सिध्दान्तशिरोमणे - गोलाध्याय (संस्कृत एवं हिन्दी): Goladhyaya Bhaskaracharya's Treatise on Astronomy with a Commentary
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सिध्दान्तशिरोमणे - गोलाध्याय (संस्कृत एवं हिन्दी): Goladhyaya Bhaskaracharya's Treatise on Astronomy with a Commentary

Author(s): Pt. Kedar Datt Joshi
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Sanskrit & Hindi
Total Pages: 627
Available in: Paperback
Regular price Rs. 995.00
Unit price per

Description

सिद्धान्तशिरोमणि - गोलाध्याय (संस्कृत और हिंदी में)

सिद्धान्तशिरोमणि (Siddhanta Shiromani) श्री भास्कराचार्य (Bhaskaracharya) द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण गणितीय ग्रंथ है, जिसमें खगोलशास्त्र, गणित और ज्योतिष के सिद्धांतों का समावेश है। इस ग्रंथ के चार भाग हैं, जिनमें से एक है गोलाध्याय, जो विशेष रूप से खगोलशास्त्र और गोलों के संबंधित सिद्धांतों पर आधारित है।

गोलाध्याय का संक्षिप्त परिचय:

गोलाध्याय (Goladhyaya) का अर्थ होता है 'गोलों का अध्याय', जिसमें पृथ्वी, आकाश, और ग्रहों के मार्ग, उनके गति, और अन्य खगोलशास्त्रीय घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं के लिए गोलों (spheres) का उपयोग किया गया है।

इसमें खगोलशास्त्र के लिए गोलाकार सिद्धांतों को समझने और उनका उपयोग करने की विधियाँ दी गई हैं। विशेष रूप से यह अध्याय ग्रहों की स्थिति, उनके गति और ग्रहों से संबंधित अन्य खगोलशास्त्र संबंधी गणनाओं के लिए मार्गदर्शन करता है।

गोलाध्याय का हिन्दी में विवरण:

गोलाध्याय में सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, तारे आदि के परिपथ और उनके गति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें विशेष रूप से निम्नलिखित विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया है:

  1. गोलों का आकार और विशेषताएँ: गोलों का माप, उनके केंद्र, और उनके विभिन्न परिमाणों के बारे में चर्चा।
  2. ग्रहों की गति: ग्रहों के गति के सिद्धांत और उनकी स्थिति का निर्धारण करने के तरीके।
  3. आसमान में स्थितियों का निर्धारण: विभिन्न ग्रहों और तारे की स्थितियों का खगोलशास्त्र की दृष्टि से निर्धारण।
  4. सूर्य और चंद्रमा की गति: सूर्य और चंद्रमा की गति तथा उनके परिक्रमा पथ की गणना।
  5. प्रकाश और छाया: सूर्य और चंद्रमा के बीच की घटनाएँ जैसे ग्रहण, और उनके गणनात्मक सिद्धांत।

गोलाध्याय ने विशेष रूप से गणना विधियों की महत्वपूर्ण व्याख्या की है, जो खगोलशास्त्र के ज्ञान को गहरे तक समझने में सहायक हैं। यह ग्रंथ न केवल भारतीय गणितज्ञों के लिए, बल्कि वैश्विक खगोलशास्त्र और गणित में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।

संक्षेप में:

गोलाध्याय खगोलशास्त्र के गहरे सिद्धांतों और गणनाओं की महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसमें न केवल पृथ्वी के आकाशीय पिंडों की गति, बल्कि समग्र खगोलशास्त्र के लिए आधारभूत सिद्धांतों की व्याख्या की गई है। इसे पढ़कर हमें खगोलशास्त्र और गणित के प्राचीन भारतीय ज्ञान का महत्वपूर्ण हिस्सा समझने का अवसर मिलता है।

उदाहरण:

  1. सूर्य का गणना: सूर्य के स्थान, गति और परिक्रमा के बारे में गणनाएँ।
  2. ग्रहण की स्थिति: सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटनाओं का परिकलन।