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Jaimini Jyotish ka Adhyayan

Author(s): B. V. Raman
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 119
Available in: Paperback
Regular price Rs. 145.00
Unit price per

Description

जैमिनि ज्योतिष का अध्ययन (Jaimini Jyotish)

जैमिनि ज्योतिष, भारतीय वेदांग ज्योतिष की एक शाखा है जो मुख्य रूप से ग्रंथ "जैमिनि सूत्र" पर आधारित है। यह ज्योतिष का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो जन्म कुंडली के माध्यम से भविष्यफल का विश्लेषण करता है। जैमिनि ज्योतिष की नींव पं. जैमिनि ने रखी थी, और इसके माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, विवाह, धन, करियर आदि का अध्ययन किया जाता है। इसे "तंत्रिका ज्योतिष" भी कहा जाता है।

जैमिनि ज्योतिष के मुख्य सिद्धांत:

  1. चरण (Chara): जैमिनि ज्योतिष में विशेष रूप से "चरण" का महत्व है। चरण का मतलब है ग्रहों का परिवर्तन और उनकी स्थिति। यह व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं को प्रभावित करता है।

  2. राशि के स्थान (Rashi Dasha): जैमिनि ज्योतिष में "राशि" का विश्लेषण किया जाता है। इसमें विशेष रूप से राशि के स्थान पर ध्यान दिया जाता है, जो भविष्यफल को निर्धारित करने में मदद करता है।

  3. दशा और अंतरदशा (Dasha and Antar-Dasha): जैमिनि ज्योतिष में दशा प्रणाली का विश्लेषण किया जाता है, जो जीवन में विभिन्न समयकालों की भविष्यवाणी करता है। इस प्रणाली में विशेष रूप से चरण और सप्तम पर ध्यान दिया जाता है।

  4. तर्क और चतुर्थांश (Tarka and Chaturthansh): जैमिनि ज्योतिष में तर्क का बड़ा महत्व है। इसमें विशेष रूप से व्यक्ति की मानसिक स्थिति और सोच पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

  5. तृतीय ग्रह (Third House Influence): इस ज्योतिष में तृतीय ग्रह, यानी तीसरे घर के प्रभाव का भी महत्व है, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास, संकल्प शक्ति, और मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है।

जैमिनि ज्योतिष की विशेषताएँ:

  • यह शुद्ध वैदिक प्रणाली पर आधारित है।
  • इसमें ग्रहों के फलादेश के लिए विशेष दृष्टिकोण अपनाया जाता है, जैसे कि ग्रहों के पहलू, ग्रहों का कोण, और उनकी स्थिति।
  • इसमें प्रचलित "दशा" के अलावा कई अन्य तकनीकें भी हैं, जैसे महा दुष्यां, चरण दुष्यां, आदि।
  • इसमें योग, कुंडली के घर, और ग्रहों के "दृष्टि" के प्रभाव का विश्लेषण किया जाता है।

जैमिनि ज्योतिष का अध्ययन कैसे करें?

  1. ग्रंथों का अध्ययन: जैमिनि ज्योतिष का सबसे प्रमुख ग्रंथ "जैमिनि सूत्र" है, जिसमें इसके सभी सिद्धांत और विधियाँ बताई गई हैं। इसके अतिरिक्त "जैमिनि महर्षि" द्वारा लिखी अन्य पुस्तकों का भी अध्ययन किया जाता है।

  2. कुंडली का विश्लेषण: जैमिनि ज्योतिष में कुंडली का गहन विश्लेषण किया जाता है, और इसमें व्यक्ति की जन्म कुंडली के ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करने पर जोर दिया जाता है।

  3. साक्षात्कार और मार्गदर्शन: अनुभवी ज्योतिषियों से मार्गदर्शन प्राप्त करना भी इस विद्या में बहुत उपयोगी होता है। वे आपकी कठिनाइयों को समझकर सही दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

  4. प्रैक्टिकल अभ्यास: किसी भी विद्या को सीखने में अभ्यास की अहमियत होती है। जैमिनि ज्योतिष के सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप से लागू करना, विभिन्न कुंडलियों का विश्लेषण करना और प्रयोगात्मक तरीके से अपने ज्ञान को बढ़ाना जरूरी होता है।