बोधिधर्म : मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और नागरों का धर्म
बोधिधर्म (Bodhidharma) को आमतौर पर एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु और धर्मगुरु के रूप में जाना जाता है, जिनका संबंध ज़ेन बौद्ध धर्म से है। हालांकि, बोधिधर्म का मुख्य संबंध भारत से है, वे ऐतिहासिक रूप से चीन में गए और वहां बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन यदि आपका सवाल प्राचीन भारतीय नगरों जैसे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा और नागरों के धर्म से जुड़ा है, तो हम इसे उन क्षेत्रों के प्राचीन धर्म और संस्कृति के संदर्भ में समझ सकते हैं।
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के प्रमुख नगर थे, जो लगभग 2600-1900 ईसा पूर्व के आसपास विकसित हुए थे। इस समय के धर्म और सांस्कृतिक प्रथाओं के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि इनकी लिपि अभी तक पूरी तरह से समझी नहीं जा सकी है। हालांकि, इन सभ्यताओं से जुड़ी कुछ विशेषताएं बताई जा सकती हैं:
यदि आप "नागरों" से तात्पर्य प्राचीन भारतीय नगरों से कर रहे हैं, तो इसे भी सिंधु घाटी सभ्यता के समय से जोड़ सकते हैं। हालांकि, बाद में भारतीय समाज में कई प्रकार के धार्मिक और दार्शनिक विचार विकसित हुए:
वेदिक धर्म: वेदों की उत्पत्ति के साथ, वेदिक धर्म और संस्कृतियों का प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप में बढ़ने लगा, जिसमें यज्ञ, अग्नि पूजा, देवताओं की पूजा और ऋषि-मुनियों के मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण स्थान था।
जैन धर्म और बौद्ध धर्म: मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सभ्यता के बाद, भारतीय उपमहाद्वीप में जैन धर्म और बौद्ध धर्म का उदय हुआ। बोधिधर्म, बौद्ध धर्म के एक प्रमुख तत्व के रूप में, ध्यान, शांति और आंतरिक शुद्धता पर बल देते थे।
Your cart is currently empty.