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  • Gautama Buddha Life and Philosophy of Religion Bhaag 2- गौतम बुद्ध जीवन और धर्म दर्शन
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Gautama Buddha Life and Philosophy of Religion Bhaag 2- गौतम बुद्ध जीवन और धर्म दर्शन

Author(s): Mamraj Singh
Publisher: Gautam Book Centre
Language: Hindi
Total Pages: 816
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 1,000.00
Unit price per

Description

गौतम बुद्ध का जीवन और उनके धर्म दर्शन भारतीय इतिहास और संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने न केवल धर्म और मोक्ष की अवधारणाओं को पुनः परिभाषित किया, बल्कि समग्र मानवता के लिए एक सरल और व्यावहारिक मार्ग दिखाया। उनका जीवन और दर्शन मानवता, शांति और आत्मनिरीक्षण की ओर एक प्रबुद्ध मार्ग है।

गौतम बुद्ध का जीवन

गौतम बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। उनका जन्म नाम सिद्धार्थ था और वह शाक्य गणराज्य के शाही परिवार से थे। उनके पिता, राजा शुद्धोधन, ने उन्हें एक राजकुमार के रूप में लालन-पालन किया और उन्हें संसार की दुख-पीड़ा से बचाने के लिए हर प्रकार की ऐश्वर्य और सुख-सुविधाएँ प्रदान कीं।

हालाँकि, सिद्धार्थ ने युवावस्था में ही यह महसूस किया कि जीवन में दुःख, दुख, और बुढ़ापे का भी सामना करना पड़ता है। एक दिन वह महल से बाहर निकले और उन्होंने देखा:

  1. एक बूढ़ा व्यक्ति,
  2. एक बीमार व्यक्ति,
  3. एक मृतक,
  4. एक साधु।

इन दृश्यों ने उन्हें गहरे विचार में डाल दिया और उन्होंने निर्णय लिया कि वह दुनिया की वास्तविकता का सामना करने के लिए घर छोड़ देंगे।

सिद्धार्थ ने गृहत्याग किया और तपस्या की, विभिन्न गुरुओं से शिक्षा ली, लेकिन उन्हें शांति का अनुभव नहीं हुआ। अंततः, उन्होंने ध्यान और आत्म-निरीक्षण के मार्ग को अपनाया और बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे गहरे ध्यान में बैठकर उन्हें 'बुद्धत्व' प्राप्त हुआ।

बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद, उन्होंने लोगों को अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर "धर्म" का उपदेश दिया।

गौतम बुद्ध का धर्म दर्शन

गौतम बुद्ध का धर्म दर्शन मुख्य रूप से ध्यान, विवेक, और करुणा पर आधारित था। उनका सबसे प्रमुख संदेश था: "दुःख ही जीवन का सत्य है, और दुःख से मुक्ति ही जीवन का लक्ष्य है।"

उनके दर्शन के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित थे:

1. चार आर्य सत्य (Four Noble Truths):

  • दुःख (Dukkha): जीवन में दुःख है, चाहे वह जन्म हो, बुढ़ापा हो, बीमारी हो, या मृत्यु।
  • दुःख का कारण (Samudaya): दुःख का कारण तृष्णा (आकांक्षाएँ), लालसा, और अज्ञानता है।
  • दुःख की समाप्ति (Nirodha): दुःख को समाप्त किया जा सकता है, जब तृष्णा और अज्ञानता समाप्त हो जाती हैं।
  • दुःख से मुक्ति का मार्ग (Magga): दुःख से मुक्ति का मार्ग 'आष्टांगिक मार्ग' है।

2. आष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path):

यह आठ कदमों का मार्ग है, जो व्यक्ति को सही जीवन जीने और निर्वाण (मुक्ति) प्राप्त करने में मदद करता है। ये आठ कदम हैं:

  • सही दृष्टि (Right View)
  • सही संकल्प (Right Intention)
  • सही वचन (Right Speech)
  • सही क्रिया (Right Action)
  • सही आजीविका (Right Livelihood)
  • सही प्रयास (Right Effort)
  • सही स्मृति (Right Mindfulness)
  • सही समाधि (Right Concentration)

3. अनात्मवाद (Anatta):

गौतम बुद्ध ने 'आत्म' (Atman) के अस्तित्व को नकारा। उनके अनुसार, आत्मा का कोई स्थायी अस्तित्व नहीं है। हम एक निरंतर परिवर्तनशील जीवन प्रक्रिया का हिस्सा हैं। यह उनके दर्शन का एक केंद्रीय तत्व था।

4. सन्सार और निर्वाण (Samsara and Nirvana):

बुद्ध के अनुसार, सन्सार (पुनर्जन्म की प्रक्रिया) दुखों का कारण है। निर्वाण वह अवस्था है, जिसमें व्यक्ति पूरी तरह से आत्मज्ञान प्राप्त कर लेता है और पुनः जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है।

5. करुणा और मैत्री (Compassion and Loving-kindness):

गौतम बुद्ध ने अपने अनुयायियों को करुणा, दया, और सभी प्राणियों के प्रति मैत्रीभाव रखने का उपदेश दिया। उनके अनुसार, यह गुण जीवन में शांति और आनंद लाते हैं।

गौतम बुद्ध का प्रभाव

गौतम बुद्ध के उपदेशों का प्रभाव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि एशिया के कई हिस्सों में फैला। उनके अनुयायी बौद्ध धर्म की स्थापना में लगे और बौद्ध धर्म ने आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। बौद्ध धर्म ने समग्र मानवता को शांति, अहिंसा, और आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाया।

उनका जीवन और धर्म दर्शन आज भी दुनियाभर में प्रासंगिक है, और उनके उपदेशों से हम अपने जीवन को अधिक सरल, शांतिपूर्ण और अर्थपूर्ण बना सकते हैं।