महायान (Mahāyāna) बौद्ध धर्म की एक प्रमुख परंपरा है, जो थेरवाद बौद्ध धर्म से बाद में विकसित हुई। "महायान" का शाब्दिक अर्थ है "महान वाहन" या "महान मार्ग," और यह बौद्ध धर्म के अनुयायियों को आत्म-निर्वाण के बजाय अन्य प्राणियों के कल्याण के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देता है। महायान बौद्ध धर्म का मुख्य उद्देश्य सभी जीवों का उद्धार करना और उन्हें बोधिसत्त्व की स्थिति तक पहुँचाना है, ताकि वे भी निर्वाण प्राप्त कर सकें।
महायान बौद्ध धर्म के कुछ मुख्य सिद्धांत और विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
बोधिसत्त्व की अवधारणा: महायान बौद्ध धर्म में बोधिसत्त्व एक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है, जिसने बौद्धत्व (बुद्ध के स्तर) प्राप्त करने के लिए अपनी आकांक्षाओं को नकार दिया है, लेकिन वह दूसरों के कल्याण के लिए अपने निर्वाण को स्थगित कर देता है। बोधिसत्त्व न केवल अपनी मुक्ति की ओर अग्रसर होते हैं, बल्कि दूसरों की मदद करने के लिए भी प्रतिबद्ध रहते हैं।
सर्वे बध्राणि: महायान में यह मान्यता है कि हर जीव का अंतर्निहित स्वभाव शुद्ध और बुद्धत्व की ओर अग्रसर होने की क्षमता रखता है।
प्रज्ञा और करुणा: महायान बौद्ध धर्म में प्रज्ञा (ज्ञान) और करुणा (दयालुता) का अत्यधिक महत्व है। यह माना जाता है कि बुद्धत्व प्राप्त करने के लिए इन दोनों गुणों का समन्वय आवश्यक है।
सुत्रों और ग्रंथों का विस्तार: महायान बौद्ध धर्म ने बौद्ध धर्म के मूल ग्रंथों से आगे बढ़ते हुए कई नए सुत्रों और धार्मिक ग्रंथों को स्वीकार किया, जैसे "विमलकीरति सूत्र," "लोटस सूत्र" (वज्रयान बौद्ध धर्म से संबंधित), और "अमिताभसूत्र"।
महायान बौद्ध धर्म की प्रमुख शाखाओं में वज्रयान और जेन बौद्ध धर्म शामिल हैं। वज्रयान में तंत्र साधना का बहुत महत्व है, जबकि जेन बौद्ध धर्म ध्यान और साधना पर जोर देता है।
महायान बौद्ध धर्म की प्रमुख मान्यताएँ आज भी दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित हैं, विशेषकर चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत, और अन्य एशियाई देशों में।
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