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Theragatha" (ठेरागाथा) बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो पलि भाषा में लिखा गया था। यह ग्रंथ बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा अपनी जीवन यात्रा और ध्यान के अनुभवों को व्यक्त करने वाली कविताओं का संग्रह है। "Theragatha" का शाब्दिक अर्थ है "भिक्षु की गाथाएँ" (Thera = वृद्ध या अनुभवी भिक्षु, Gatha = गाथाएँ या कविताएँ)। इस ग्रंथ में 264 भिक्षुओं की गाथाएँ शामिल हैं, जो उनके ध्यान, साधना, और निर्वाण की प्राप्ति के अनुभवों का वर्णन करती हैं।
Theragatha के मुख्य बिंदु:
भिक्षुओं की गाथाएँ: इसमें विभिन्न भिक्षुओं की आत्मकथाएँ हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कठिनाइयाँ सहन करते हुए और ध्यान साधना के माध्यम से निर्वाण (मुक्ति) की प्राप्ति की। वे अपनी साधना के अनुभवों और प्राप्त आंतरिक शांति का वर्णन करते हैं।
ध्यान और साधना की महिमा: भिक्षु अपनी गाथाओं के माध्यम से ध्यान की शक्ति, आत्म-ज्ञान और सत्य की प्राप्ति के बारे में बताते हैं। यह उनकी साधना की गहरी समझ और जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को प्रकट करता है।
निर्वाण का मार्ग: कई गाथाएँ भिक्षुओं द्वारा निर्वाण की प्राप्ति के बाद की गई हैं, जिसमें उन्होंने यह अनुभव साझा किया कि किस प्रकार उन्होंने संसार के दुखों से मुक्ति पाई और शांति की स्थिति में पहुंचे।
आध्यात्मिक संघर्ष और विजय: कई भिक्षुओं ने अपने जीवन में आत्मसंघर्ष, द्वंद्व और मानसिक विकारों का सामना किया और फिर उन्होंने उन्हें हराकर साधना में सफलता प्राप्त की।
Theragatha का महत्व:
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