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Mahabharat ki kahani, Vigyan Ki Jubani - महाभारत की कहानी विज्ञान की जुबानी - Motilal Banarsidass #author

Mahabharat ki kahani, Vigyan Ki Jubani- महाभारत की कहानी विज्ञान की जुबानी

Author(s): Saroj Bala
Publisher: Visions India Publications
Language: Hindi
Total Pages: 508
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 1,999.00
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Description

महाभारत की कहानी एक महाकाव्य है, जिसमें जीवन, धर्म, युद्ध, और नैतिकता के जटिल पहलुओं को प्रदर्शित किया गया है। यह कथा एक विशाल युद्ध के इर्द-गिर्द घूमती है, जो कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था। इस युद्ध में केवल भौतिक शक्ति ही नहीं, बल्कि मानसिक, दार्शनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विज्ञान की जुबानी महाभारत:

  1. आधुनिक गणना और गणित: महाभारत में बहुत सी घटनाओं को संख्याओं और गणित के सिद्धांतों के माध्यम से समझाया गया है। जैसे, युद्ध के दौरान विभिन्न हथियारों का प्रयोग, उनका प्रभाव, और एक सैनिक की क्षमता—ये सभी गुणात्मक रूप से गणितीय होते हैं। युद्ध रणनीतियाँ और सैन्य गणना इस दृष्टिकोण से देखी जा सकती हैं।

  2. अंतरिक्ष और ब्रह्मांड: महाभारत में देवी-देवताओं, राक्षसों और पौराणिक प्राणियों के संदर्भ में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमें अंतरिक्ष और ब्रह्मांड के बारे में कुछ रोचक विचार मिलते हैं। जैसे, जब अर्जुन ने इन्द्रदेव से वरदान प्राप्त किया, तो यह हमें आकाशीय विज्ञान और उसकी शक्ति का संकेत देता है। वे उपकरण, जो "ब्रह्मास्त्र" जैसे शक्तिशाली हथियारों से जुड़े थे, भी एक प्रकार से परमाणु विज्ञान और परमाणु अस्तित्व की कल्पना की तरह प्रतीत होते हैं।

  3. वेद-ज्ञान और भौतिकी: महाभारत में वर्णित "ब्रह्मास्त्र" और अन्य दिव्य अस्त्रों को समझने के लिए हमें आधुनिक भौतिकी और ऊर्जा के सिद्धांतों को ध्यान में रखना पड़ता है। ये अस्त्र बहुत उच्च ऊर्जा के स्रोत होते थे, और उनका प्रभाव भयंकर रूप से नष्ट करने वाला होता था। इस तरह के अस्त्रों का वर्णन विज्ञान की नज़र से परमाणु विस्फोट की कल्पना की तरह किया जा सकता है।

  4. मानव शरीर और आयुर्वेद: महाभारत में युद्ध के दौरान विभिन्न चोटों, रोगों और उपचारों का उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद, जो एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है, ने पांडवों और कौरवों को उपचार प्रदान किया। शरीर के अंगों, उनकी कार्यप्रणाली और उपचार के तरीकों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने के लिए यह अद्भुत उदाहरण प्रदान करता है।

  5. समाज विज्ञान और मनोविज्ञान: महाभारत के पात्रों की मनोविज्ञान पर गहरी छानबीन की जा सकती है। अर्जुन का "मोह" (आंतरिक संघर्ष) और कृष्ण का गीता का उपदेश आज के मनोविज्ञान में आत्म-साक्षात्कार और मानसिक संतुलन के लिए प्रेरणादायक होते हैं। इसके अलावा, कौरवों और पांडवों के बीच संघर्ष को समाजशास्त्र और राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जा सकता है।

  6. नैतिकता और तर्कशास्त्र: महाभारत में धर्म और अधर्म के बीच जटिल द्वंद्व को सिद्धांतों, तर्कों और कर्तव्यों के जरिए समझाया गया है। यह हमें इस बात का संकेत देता है कि किसी भी निर्णय के पीछे केवल तात्कालिक परिणाम नहीं, बल्कि दूरगामी परिणाम और समाज की भलाई का भी ध्यान रखा जाता है। इसका सम्बंध आधुनिक तर्कशास्त्र से है, जो निर्णय लेने के सिद्धांतों और परिणामों की विश्लेषण करता है।