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  • Pracheen Bharat Ka Samajik Aur Arthik Itihas: प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास
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Pracheen Bharat Ka Samajik Aur Arthik Itihas: प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास

Author(s): Dr. Shiva Swarup Sahay
Publisher: MOTILAL BANARSIDASS PUBLISHERS PVT. LTD.
Language: Hindi
Total Pages: 520
Available in: Paperback
Regular price Rs. 350.00
Unit price per

Description

प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास अत्यंत विविध और समृद्ध है। यह इतिहास कई युगों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें वैदिक काल, Maurya साम्राज्य, Gupta साम्राज्य, और बाद के शासक शामिल हैं।

सामाजिक इतिहास

  1. वैदिक काल:

    • समाज जातियों में विभाजित था, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र शामिल थे।
    • परिवार की संरचना पितृसत्तात्मक थी और महिलाएं सीमित अधिकारों के साथ थीं।
  2. Maurya साम्राज्य:

    • चंद्रगुप्त मौर्य के समय में समाज में कुछ सुधार हुए।
    • अशोक के शासन के दौरान बौद्ध धर्म का उदय हुआ, जिसने सामाजिक न्याय और समता का संदेश फैलाया।
  3. Gupta साम्राज्य:

    • कला, विज्ञान, और साहित्य का स्वर्ण युग था।
    • जाति व्यवस्था मजबूत हुई, लेकिन शिक्षा और कला के क्षेत्र में प्रगति हुई।
  4. अवधि के बाद:

    • मुस्लिम आक्रमणों के बाद समाज में नए सांस्कृतिक प्रभाव आए।
    • सिख, संत, और सूफी परंपराओं ने सामाजिक समानता की दिशा में योगदान दिया।

आर्थिक इतिहास

  1. कृषि:

    • प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। अनाज, फल, और सब्जियों की खेती प्रमुख थी।
    • सिंचाई के लिए नदियों और जलाशयों का उपयोग किया जाता था।
  2. व्यापार:

    • व्यापारिक गतिविधियाँ ज्वाला-स्वर्ण, वस्त्र, और मसालों के व्यापार के माध्यम से फैल रही थीं।
    • समुद्री और स्थलीय मार्गों के माध्यम से विदेशी व्यापार भी विकसित हुआ।
  3. शिल्प और उद्योग:

    • हस्तशिल्प, बुनाई, और धातु उद्योग ने स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • उद्यमिता का स्तर बढ़ा और विभिन्न कला रूपों का विकास हुआ।

निष्कर्ष

प्राचीन भारत का सामाजिक और आर्थिक इतिहास एक दूसरे से जुड़े हुए थे। समाज में विभिन्न जातियों और वर्गों के बीच जटिलताएँ थीं, जबकि अर्थव्यवस्था कृषि, व्यापार, और उद्योग पर निर्भर थी। समय के साथ, ये तत्व बदलते रहे, लेकिन उनकी जड़ें भारतीय संस्कृति में गहरी बनी रहीं।