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वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (मूलमात्रम्)- Vyakarana Siddhanta Kaumudi (Mulamatram)

वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (मूलमात्रम्)- Vyakarana Siddhanta Kaumudi (Mulamatram)

Author(s): Prof. Sudhi Kant Bhardwaj
Publisher: Bhardwaj Printers And Publishers
Language: Sanskrit
Total Pages: 448
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 2,000.00
Unit price per

Description

वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (मूलमात्रम्) संस्कृत व्याकरणशास्त्र के एक अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे प्रसिद्ध संस्कृतज्ञ पाणिनि के शास्त्रों पर आधारित माना जाता है। यह ग्रंथ पाणिनि के अष्टाध्यायी पर आधारित है और इसमें पाणिनि के सिद्धान्तों का व्याख्यान और उदाहरणों के साथ स्पष्ट रूप से निरूपण किया गया है।

"वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी" का मुख्य उद्देश्य पाणिनि के सूत्रों को सरल और समझने योग्य रूप में प्रस्तुत करना है। इसमें पाणिनि के सूत्रों के आशय को विशेष रूप से स्पष्ट किया गया है। इसके लेखन के पीछे महर्षि भीमदेव या भीमसेन का योगदान माना जाता है, जो संस्कृत के प्रमुख वैयाकरण थे।

मुख्य विषय:

  1. पाणिनि के सूत्रों का व्याख्यान

  2. संस्कृत के व्याकरण के सिद्धान्तों का विश्लेषण

  3. संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, समास आदि के नियम

  4. शब्दों के रूप और अर्थ की गहरी समझ

मूलमात्रम् के रूप में यह ग्रंथ सरल भाषा में पाणिनि के सिद्धान्तों को प्रस्तुत करता है, ताकि यह अधिक से अधिक लोगों द्वारा समझा जा सके। यह ग्रंथ न केवल संस्कृत के छात्र-छात्राओं के लिए, बल्कि संस्कृत व्याकरण के विद्वानों के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है।