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मानवविज्ञान समप्रत्य सिद्धांत एवं आधुनिक धाराएँ
(मानसिक विज्ञान : अवधारणाएँ, सिद्धांत और वर्तमान प्रवृत्तियाँ)
1. मानवविज्ञान की परिभाषा: मानवविज्ञान या मानसिक विज्ञान, एक ऐसी विद्या है जो मानव के मानसिक और भावनात्मक पहलुओं का अध्ययन करती है। यह व्यक्ति के व्यवहार, सोच, भावना, समझ, संज्ञान, और व्यक्तित्व पर ध्यान केंद्रित करती है।
2. सिद्धांत: मानवविज्ञान में कई सिद्धांत विकसित किए गए हैं, जो मानव व्यवहार को समझाने का प्रयास करते हैं। इनमें कुछ प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
व्यवहारवाद (Behaviorism):
व्यवहारवाद के अनुसार, मानव का व्यवहार उस पर आने वाले उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह सिद्धांत मानता है कि मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जा सकता और केवल observable (देखी जा सकने वाली) प्रतिक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्रमुख व्यवहारवादी जैसे कि जॉन ब. वाटसन और बी.एफ. स्किनर ने इस सिद्धांत को लोकप्रिय किया।
मनोविश्लेषण (Psychoanalysis):
यह सिद्धांत सिगमंड फ्रायड द्वारा प्रस्तुत किया गया था। मनोविश्लेषण का मानना है कि मानव व्यवहार के पीछे अनजाने मानसिक कारण होते हैं, जो मुख्य रूप से अचेतन (unconscious) स्तर पर होते हैं। यह सिद्धांत व्यक्ति के अचेतन मन, संघर्षों, और बचाव तंत्रों को समझने पर केंद्रित है।
मानववादी दृष्टिकोण (Humanistic Psychology):
यह दृष्टिकोण कार्ल रोजर्स और अब्राहम मस्लो जैसे मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसमें माना जाता है कि हर व्यक्ति में आत्मविकास और आत्मसाक्षात्कार की दिशा में प्रगति करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। यह सिद्धांत आत्मसम्मान, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य पर जोर देता है।
संज्ञानात्मक सिद्धांत (Cognitive Theory):
संज्ञानात्मक मनोविज्ञान मानव मानसिक प्रक्रियाओं जैसे ध्यान, स्मृति, समस्या-समाधान, और निर्णय-निर्माण को समझने पर केंद्रित है। यह सिद्धांत उन मानसिक प्रक्रियाओं को अध्ययन करता है जो एक व्यक्ति के विचार और व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
3. आधुनिक प्रवृत्तियाँ (Current Trends in Psychology):
न्यूरोसाइंस और जैविक मनोविज्ञान (Neuroscience and Biological Psychology):
इस प्रवृत्ति में मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के कार्यों को समझने का प्रयास किया जाता है और यह कैसे मानसिक प्रक्रियाओं और व्यवहार को प्रभावित करता है। न्यूरोसाइंस तकनीकों, जैसे fMRI (Functional Magnetic Resonance Imaging) और EEG (Electroencephalogram), का उपयोग मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
समाजात्मक मनोविज्ञान (Social Psychology):
यह प्रवृत्ति इस बात को समझने पर केंद्रित है कि व्यक्ति समाज में कैसे कार्य करता है, सामाजिक प्रभाव, समूह मानसिकता, नेतृत्व, और व्यक्तिगत पहचान जैसे विषयों पर ध्यान देती है।
आवेदनात्मक मनोविज्ञान (Applied Psychology):
यह प्रवृत्ति मनोविज्ञान के सिद्धांतों और तकनीकों को वास्तविक जीवन स्थितियों में लागू करने का प्रयास करती है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यवसाय, और न्यायपालिका से संबंधित क्षेत्रों में मनोविज्ञान का प्रयोग किया जाता है।
पोस्ट-मॉडर्न मनोविज्ञान (Postmodern Psychology):
यह प्रवृत्ति आधुनिकता के विचारों से बाहर निकल कर मानव व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं को विभिन्न सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, और सामाजिक संदर्भों में समझने की कोशिश करती है। इसमें यह माना जाता है कि कोई एक "सच्चाई" नहीं है, और मानव अनुभवों की विविधता को स्वीकार किया जाता है।
सकारात्मक मनोविज्ञान (Positive Psychology):
इस दृष्टिकोण का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के नकारात्मक पहलुओं से अधिक सकारात्मक पहलुओं को समझना और प्रोत्साहित करना है। इसमें आत्म-सम्मान, खुशी, धैर्य, और व्यक्तिगत विकास जैसी चीजों पर ध्यान दिया जाता है।
4. निष्कर्ष: मानवविज्ञान ने समय के साथ अनेक बदलावों का अनुभव किया है, और आज यह एक बहुत विस्तृत और विविध शाखा बन चुका है। जबकि पारंपरिक सिद्धांतों जैसे व्यवहारवाद और मनोविश्लेषण आज भी महत्वपूर्ण हैं, वर्तमान में नए दृष्टिकोण जैसे कि न्यूरोसाइंस, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान और सकारात्मक मनोविज्ञान ने अनुसंधान और चिकित्सा में नई दिशा प्रदान की है। मानवविज्ञान का अध्ययन न केवल व्यक्तिगत व्यवहार को समझने में सहायक है, बल्कि यह समाज की बेहतर समझ और लोगों की भलाई में योगदान करने में भी सक्षम है।
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