संस्कृत-लेखाञ्जलिः (एकपञ्चाशत्-शोधलेखाः):

Rs. 910.00
  • Book Name संस्कृत-लेखाञ्जलिः (एकपञ्चाशत्-शोधलेखाः):
  • Author DR. RAMESHWAR PRASAD GUPT
  • Language, Pages Sanskrit 227 Pgs. (HB)
  • Last Updated 2024 / 08 / 09
  • ISBN 9789389386356

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संस्कृत-लेखाञ्जलिः (एकपञ्चाशत्-शोधलेखाः):
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संस्कृत-लेखाञ्जलिः" एक विशेष प्रकार का ग्रंथ है जो संस्कृत साहित्य और उसके विविध पहलुओं पर शोधपूर्ण लेखों का संग्रह होता है। यह ग्रंथ विशेषतः उन शोध-लेखों का संकलन होता है जो संस्कृत भाषा, साहित्य, दर्शन, और अन्य संबंधित विषयों पर विस्तृत अध्ययन और विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं।

एकपञ्चाशत्-शोधलेखाः का विश्लेषण

"एकपञ्चाशत्-शोधलेखाः" का अर्थ होता है 'पचास शोधलेख'। इस प्रकार के ग्रंथ में आमतौर पर विभिन्न विषयों पर पचास शोध-लेखों का संग्रह होता है, जो विभिन्न संस्कृत साहित्यिक, दार्शनिक, और भाषाशास्त्रीय विषयों पर आधारित होते हैं।

1. संस्कृत साहित्य का अध्ययन

  • इस खंड में संस्कृत के ऐतिहासिक साहित्य, जैसे कि महाकाव्य, पुराण, नाटक, और काव्य के अध्ययन पर लेख होते हैं।
  • साहित्यिक शैलियों, लेखक, और उनकी कृतियों की विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

2. भाषाशास्त्र और व्याकरण

  • संस्कृत भाषा के व्याकरण, शास्त्रीय नियमों, और भाषाशास्त्रीय विश्लेषण पर लेख होते हैं।
  • भाषाई परिवर्तन, ध्वनि विज्ञान, और शब्दविज्ञान पर भी शोध शामिल हो सकता है।

3. दार्शनिक और धार्मिक अध्ययन

  • वेदांत, सांख्य, योग, और अन्य प्रमुख दार्शनिक विद्यालयों पर शोध लेख होते हैं।
  • संस्कृत धार्मिक ग्रंथों और उनके तात्त्विक अर्थ पर चर्चा की जाती है।

4. संस्कृत साहित्य की ऐतिहासिक प्रासंगिकता

  • प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक संस्कृत साहित्य के विकास और उसकी सांस्कृतिक महत्वपूर्णता पर लेख होते हैं।
  • विभिन्न कालखंडों में संस्कृत साहित्य की बदलती प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया जाता है।

5. अनुवाद और टिप्पणियाँ

  • संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद और उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ पर टिप्पणियाँ होती हैं।
  • प्रमुख संस्कृत ग्रंथों की नई व्याख्याएँ और संस्करणों पर भी प्रकाश डाला जाता है।

उपसंहार

"संस्कृत-लेखाञ्जलिः (एकपञ्चाशत्-शोधलेखाः)" जैसे ग्रंथ विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ग्रंथ न केवल संस्कृत के अध्ययन में गहराई लाते हैं, बल्कि भाषा, साहित्य, और दार्शनिकता की समृद्ध परंपरा को समझने और सहेजने में भी सहायक होते हैं।

इस प्रकार के शोधलेखों का अध्ययन संस्कृत साहित्य के विभिन्न पहलुओं को समग्र रूप से समझने में मदद करता है और भारतीय संस्कृति के ऐतिहासिक और दार्शनिक योगदान को भी उजागर करता है।


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