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  • भाणवाङ्मयचरितम्- Bhanavanmayacaritam
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भाणवाङ्मयचरितम्- Bhanavanmayacaritam

Author(s): K. V. Ramakrishnamacharyudu
Publisher: Sanskrit Academy
Language: Sanskrit
Total Pages: 320
Available in: Paperback
Regular price Rs. 420.00
Unit price per

Description

भाणवाङ्मयचरितम्" (Bhanavanmayacaritam) एक संस्कृत शब्द है, जिसमें तीन मुख्य अंश होते हैं:

  1. भाण (Bhana): भाण का अर्थ है "रचनात्मक या काव्यात्मक नाटक" या "एक प्रकार की कथा या संवादपूर्ण रचनाएँ"। संस्कृत साहित्य में, "भाण" शब्द का उपयोग एक लघु नाटक, संवाद, या काव्यात्मक शास्त्रों के संदर्भ में किया जाता है।

  2. वाङ्मय (Vangmaya): इसका अर्थ होता है "भाषा" या "शब्दों का समूह"। यह किसी विचार या विषय को शब्दों में व्यक्त करने की कला है।

  3. चरित (Charita): इसका अर्थ है "कहानी" या "चरित्र"। यह किसी व्यक्ति, घटना या विचार के बारे में विवरण या कथा को दर्शाता है।

जब हम इन तीनों अंशों को मिलाकर समझते हैं, तो "भाणवाङ्मयचरितम्" का मतलब होता है "काव्यात्मक या संवादात्मक शैली में व्यक्त की गई किसी घटना या चरित्र की कहानी"। यह संस्कृत में लिखे गए उन साहित्यिक कार्यों को भी संदर्भित कर सकता है, जिनमें रचनात्मक संवाद, कथाएँ और चरित्र चित्रण का विशेष स्थान होता है।