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  • निगमन तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक विधि- Deductive Logic and Scientific Method
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निगमन तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक विधि- Deductive Logic and Scientific Method

Author(s): Dr. Shyamal Kishore
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 272
Available in: Paperback
Regular price Rs. 497.00
Unit price per

Description

नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप चार वर्षीय दर्शनशास्त्र सेमेस्टर प्रथम एवं द्वितीय के पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तक "निगमन तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक विधि" सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। एम.जे.सी. एवं एम.आई.सी. स्नातक दर्शनशास्त्र के प्रथम सेमेस्टर पाठ्यक्रम में 'निगमन तर्कशास्त्र' एवं द्वितीय सेमेस्टर में 'वैज्ञानिक विधि' का अध्ययन करना है। प्रस्तुत पुस्तक में दोनों सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए विषय सामग्री प्रस्तुत की गयी है। तर्कशास्त्र के अन्तर्गत परम्परागत तर्कशास्त्र तथा प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक विधि में आगमन तर्कशास्त्र के विभिन्न आयामों का पाठ्यक्रम में उल्लेख है। यहाँ निगमन एवं आगमन के कई पहलुओं एवं वैज्ञानिक पद्धति की दृष्टि से जो प्रमुख विषय है, उनकी आधुनिक दृष्टि से विवेचना है. जिससे दर्शनशास्त्र के विद्यार्थीगण लाभान्वित होंगे।

लेखक परिचय

प्रो. श्यामल किशोर (1965) एम.ए (स्वर्णपदक प्राप्त) एवं पीएच.डी. (पटना विश्वविद्यालय, पटना) सम्प्रति स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, टी.पी.एस. कॉलेज, पटना में अध्यक्ष एवं 'विहार दर्शन परिषद्' के महामंत्री हैं। आप 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद्' के पूर्व संयुक्त मंत्री, मंत्री तथा वर्तमान में परिषद् की शोध पत्रिका 'दार्शनिक त्रैमासिक' के सम्पादक एवं 'बिहार दर्शन परिषद्' की शोध-पत्रिका 'दार्शनिक अनुगूंज' के पूर्व सम्पादक रह चुके हैं। आपको अखिल भारतीय दर्शन परिषद् द्वारा 'पातञ्जल योग मनोविज्ञान' पुस्तक के लिए श्री खचेडू सिंह नागर समृति पुरस्कार (2017) प्राप्त हुआ है। आपने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सम्पोषित दो शोध परियोजनाओं (2007 एवं 2013) का भी सफलतापूर्वक निष्पादन किया है। वर्तमान में आप भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली सम्पोषित 'सीमांत नैतिकता' विषय पर शोध परियोजना पर कार्य कर रहे हैं। आपकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं-'गाँधी दर्शन के विविध आयाम' (2007), 'प्रारम्भिक दर्शनशास्त्र एक परिचय' (2008). 'गाँधी दर्शन: एक पुनरवलोकन' (2014), 'सीमांत नैतिकता के आयाम' (2014), 'धर्मदर्शन के आयाम' (2015), 'पातञ्जल योग मनोविज्ञान' (2016), 'दर्शन: एक पुनरवलोकन' (2017). 'गाँधी सत्याग्रह के आयाम' (2019) एवं 'सह-जीवन अनुप्रयुक्त दर्शन का आयाम' (2024)।

 

प्राक्कथन

नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप चार वर्षीय दर्शनशास्त्र-सेमेस्टर प्रथम एवं द्वितीय के पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तक "निगमन तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक विधि" को सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है। एम. जे.सी. एवं एम.आई.सी. स्नातक दर्शनशास्त्र के प्रथम सेमेस्टर पाठ्यक्रम में 'निगमन तर्कशास्त्र' एवं द्वितीय सेमेस्टर में 'वैज्ञानिक विधि' का अध्ययन करना है। प्रस्तुत पुस्तक में दोनों सेमेस्टर के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए विषय सामग्री प्रस्तुत की गयी है। तर्कशास्त्र के अन्तर्गत परम्परागत तर्कशास्त्र तथा प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र एवं वैज्ञानिक विधि में आगमन तर्कशास्त्र के विभिन्न आयामों का पाठ्यक्रम में उल्लेख है। यहाँ निगमन एवं आगमन के कई पहलुओं एवं वैज्ञानिक पद्धति की दृष्टि से जो प्रमुख विषय है, उनकी आधुनिक दृष्टि से विवेचना है, जिससे दर्शनशास्त्र के विद्यार्थियों के साथ-साथ तर्कणा (Reasoning) आधारित परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थीगण लाभान्वित होंगे, इसका मुझे विश्वास है।

प्रसिद्ध दार्शनिक एल्ड्रीच ने कहा है कि 'तर्कशास्त्र तर्क करने की कला है।' सही और गलत तर्क का निर्धारण नियमों के आधार पर किया जाता है। यदि तर्क सही होता है तो उसका निष्कर्ष सत्य होता है और यदि तर्क गलत होता है तो उसका निष्कर्ष असत्य होता है। वस्तुतः प्रत्येक विज्ञान की जड़ में तर्कशास्त्र होता है। प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य, लॉ, गणित आदि सभी को अपने निष्कर्ष की स्थापना में तार्किक युक्ति की सहायता लेनी पड़ती है।