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पाश्चात्य दर्शन की रूपरेखा- Outline of Western philosophy

Author(s): Dr. Badrinath Singh
Publisher: Motilal Banarsidass
Language: Hindi
Total Pages: 398
Available in: Paperback
Regular price Rs. 770.00
Unit price per

Description

पाश्चात्य दर्शन की रूपरेखा (Outline of Western Philosophy) का उद्देश्य दर्शन की प्रमुख धारा और विचारधाराओं का संक्षिप्त परिचय देना है। यह दर्शन की उस परंपरा से संबंधित है जो प्राचीन ग्रीस से उत्पन्न हुई और आज तक विभिन्न रूपों में विकसित होती चली गई। पाश्चात्य दर्शन का इतिहास लंबा और विविधतापूर्ण है, जिसमें कई प्रमुख विचारक और उनके सिद्धांतों ने प्रभाव डाला है। इस रूपरेखा में हम पाश्चात्य दर्शन के मुख्य कालखंडों और विचारधाराओं को संक्षेप में समझेंगे:

1. प्राचीन ग्रीक दर्शन (Ancient Greek Philosophy)

  • सूत्रधार (Pre-Socratic Philosophers):

    • थेल्स, हेराक्लाइटस, परमिनाइडस आदि जैसे शुरुआती विचारक जो प्रकृति, ब्रह्मांड, और अस्तित्व के मूल तत्वों की खोज में थे।

  • सूक्रात (Socrates):

    • ज्ञान की सीमाओं, आत्म-ज्ञान और नैतिकता पर केंद्रित। उनके शिक्षाएं प्लेटो के माध्यम से प्रसिद्ध हुईं।

  • प्लेटो (Plato):

    • आदर्श रूपों (Theory of Forms) और न्याय, राजनीति, और ज्ञान के सवालों पर काम किया।

  • अरस्तू (Aristotle):

    • तार्किकता, भौतिकी, मेटाफिजिक्स, नैतिकता और राजनीति के सिद्धांतों के संस्थापक। उनके काम ने मध्यकालीन और आधुनिक दर्शन पर गहरा प्रभाव डाला।

2. मध्यकालीन दर्शन (Medieval Philosophy)

  • ईसाई धर्म और दर्शन:

    • पॉल, ऑगस्टिन, थॉमस एक्विनास जैसे विचारक जिन्होंने धर्म और दर्शन को मिलाकर एक समग्र दर्शन विकसित किया।

  • थॉमस एक्विनास:

    • ईसाई धर्म और अरस्तू के दर्शन का मिश्रण, जहां उन्होंने तर्क और विश्वास के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की।

3. प्रारंभिक आधुनिक दर्शन (Early Modern Philosophy)

  • रिनेसां (Renaissance) का प्रभाव:

    • इंसानियत, मानवता और स्वायत्तता पर बल, जिसके परिणामस्वरूप पुनर्जागरण काल में दर्शन का नया रूप उत्पन्न हुआ।

  • डेसकार्टेस (René Descartes):

    • "मैं सोचता हूँ, अतः मैं हूँ" के सिद्धांत के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार और ज्ञान के स्रोत की खोज की।

  • लोकी (John Locke):

    • अनुभववादी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया, जहां ज्ञान का स्रोत इंद्रिय अनुभव है।

  • स्पिनोजा (Baruch Spinoza):

    • परमात्मा और प्रकृति के बीच संबंध पर कार्य किया, जो पैनथिज़्म की ओर अग्रसर था।

4. आधुनिक दर्शन (Modern Philosophy)

  • आधुनिक यथार्थवाद और तर्कवाद:

    • इमैनुएल कांट (Immanuel Kant): - ज्ञान और अनुभव के सीमाओं और संरचना की जांच की, और यह बताया कि हम कैसे जान सकते हैं।

  • हैगेल (Georg Wilhelm Friedrich Hegel):

    • ऐतिहासिक विकास और विचारों की द्वंद्वात्मक प्रक्रिया पर जोर दिया।

  • नित्शे (Friedrich Nietzsche):

    • जीवन की शक्ति, स्वायत्तता और नैतिकता पर अपनी क्रांतिकारी दृष्टि दी। "ईश्वर का निधन" जैसी अवधारणाओं के साथ।

  • डेविड ह्यूम (David Hume):

    • अनुभववाद और संदेहवाद के सिद्धांतों पर जोर दिया, जो ज्ञान के स्रोतों और कारणों की आलोचना करते थे।

5. आधुनिक और समकालीन दर्शन (Contemporary Philosophy)

  • उपलब्धिवाद (Pragmatism):

    • विलियम जेम्स और जॉन ड्युई जैसे विचारकों ने इस विचारधारा को बढ़ावा दिया, जो दर्शन को व्यवहारिक और समाजिक संदर्भों में देखने की कोशिश करता है।

  • विश्लेषणात्मक दर्शन (Analytic Philosophy):

    • बीर्ट्रेंड रसेल और लुडविग विट्गेन्स्टाइन जैसे विचारक इस दृष्टिकोण को अपनाने वाले थे, जो भाषा और तर्क पर केंद्रित थे।

  • सार्वजनिक रूप से आलोचना (Critical Theory):

    • फ्रैंकफर्ट स्कूल, मार्क्सवादी विचारक जैसे थियोडोर अडोर्नो और हर्बर्ट मार्क्यूज़ ने समाज और संस्कृति पर विश्लेषण किया।

  • अस्तित्ववाद (Existentialism):

    • सर्रेंटे, हाइडेगर और कियर्केगॉर्ड जैसे विचारक व्यक्ति की स्वतंत्रता, अस्तित्व की निरर्थकता, और व्यक्तिगत निर्णयों पर जोर देते हैं।

6. समाज और राजनीति पर पाश्चात्य दर्शन का प्रभाव

  • दर्शन के सिद्धांतों ने राजनीति, समाज, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी गहरा प्रभाव डाला।

  • जॉन रॉल्स (John Rawls): - न्याय के सिद्धांत पर काम किया, जिसमें समाज में समानता और स्वतंत्रता को संतुलित करने की कोशिश की गई।