आचार्य बुद्धघोष और उनकीअट्ठकथा

Rs. 700.00
  • Book Name आचार्य बुद्धघोष और उनकीअट्ठकथा
  • Author Dr. Shivcharan Lal Jain
  • Language, Pages Hindi 401 Pgs. (PB)
  • Last Updated 2024 / 11 / 27
  • ISBN 9789386883926
Subject(s):
Publisher:

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आचार्य बुद्धघोष और उनकीअट्ठकथा
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आचार्य बुद्धघोष बौद्ध धर्म के एक महान पाली साहित्यकार और थेरवाद बौद्ध परंपरा के प्रमुख आचार्य थे। वे 5वीं शताब्दी में श्रीलंका में निवास करते थे और उनका कार्य पाली साहित्य के क्षेत्र में अद्वितीय था। उनका योगदान मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के सूत्रों की व्याख्या और विभिन्न बौद्ध ग्रंथों की संकलन और अनुवाद में था।

आचार्य बुद्धघोष का जीवन: आचार्य बुद्धघोष का जन्म भारत में हुआ था, लेकिन वे अपने जीवन के अधिकांश समय को श्रीलंका में बिताए। उनकी शिक्षा और कार्य पाली भाषा में थे, जो बौद्ध धर्म के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों का भाषा है। आचार्य बुद्धघोष ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को समझाने और विस्तृत रूप से प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अट्ठकथा (Atthakatha): आचार्य बुद्धघोष का सबसे प्रसिद्ध योगदान उनकी अट्ठकथा (Atthakatha) है, जो बौद्ध ग्रंथों की विस्तृत टीका (व्याख्या) के रूप में है। "अट्ठकथा" पाली शब्द है, जिसका अर्थ होता है "आठ कथाएँ" या "आठ व्याख्याएँ"। यह विशेष रूप से एक विस्तृत और विस्तारपूर्वक टिप्पणी होती है, जो मूल बौद्ध ग्रंथों की व्याख्या करती है।

उनकी अट्ठकथा ने त्रिपिटक (बौद्ध धर्म के तीन मूल ग्रंथों) को समझने में सहायता दी। आचार्य बुद्धघोष ने महाविहारा संप्रदाय की ओर से पाली सूत्रों और उनके अनुवादों की व्याख्या की। उनकी अट्ठकथा ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को विस्तृत रूप से और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया, जिससे पूरे दक्षिण एशिया में बौद्ध धर्म के अनुयायी उन्हें समझ सके।

अट्ठकथा के प्रमुख विषय:

  1. सुत्तपिटक: इसमें आचार्य बुद्धघोष ने बौद्ध सूत्रों की व्याख्या की। उन्होंने सुत्तपिटक के वाक्यों को समझाने और उनके गहरे अर्थ को उजागर करने के लिए विस्तार से टिप्पणियाँ दीं।
  2. विनयपिटक: इसमें बौद्ध भिक्षुओं के नियम और आचार-व्यवहार पर चर्चा की गई है। आचार्य बुद्धघोष ने विनय के सिद्धांतों को स्पष्ट किया और भिक्षुओं के आचार-व्यवहार के बारे में विस्तार से बताया।
  3. अभिधम्मपिटक: यह बौद्ध धर्म के दार्शनिक और मानसिक सिद्धांतों पर आधारित होता है। आचार्य बुद्धघोष ने इस ग्रंथ के गहरे अर्थों को समझाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।

आचार्य बुद्धघोष की अट्ठकथा आज भी बौद्ध धर्म के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण स्रोत मानी जाती है, और यह पाली ग्रंथों की सटीकता और गहराई को समझने में सहायक है। उनकी अट्ठकथा से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने बौद्ध धर्म को समझने में एक अद्वितीय दृष्टिकोण दिया और उसे व्यापक रूप से प्रस्तुत किया।

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