Your cart is empty now.
आत्मज्ञान और साधना पथ पर चर्चा करते हुए हम सबसे पहले यह समझ सकते हैं कि यह दोनों एक-दूसरे से गहरे तौर पर जुड़े हुए हैं। आत्मज्ञान और साधना पथ, दोनों का उद्देश्य आत्मा की वास्तविकता को पहचानना और आत्मा की परम स्थिति में पहुँचने का मार्गदर्शन करना है।
आत्मज्ञान का अर्थ है स्वयं के वास्तविक स्वरूप को समझना। यह वह ज्ञान है, जो व्यक्ति को यह सिखाता है कि वह केवल शरीर और मन नहीं है, बल्कि उसकी वास्तविक पहचान आत्मा (आत्मा) है। आत्मज्ञान का उद्देश्य माया (भ्रम) और संसार के झूठे बंधनों से मुक्त होना है, ताकि हम अपनी सच्ची पहचान को जान सकें।
आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपने भीतर की गहरी समझ और विवेक को जागृत करना होता है। यह ज्ञान हमें यह महसूस कराता है कि हम परम सत्य, ब्रह्म, या ईश्वर के अंश हैं और हमें आत्मा की असीम शक्ति को पहचानना होता है।
साधना पथ वह मार्ग है, जिसके द्वारा आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने की प्रक्रिया पूरी होती है। यह एक निरंतर अभ्यास है, जिसमें मानसिक शांति, ध्यान, भक्ति, योग और अन्य साधनाएँ शामिल होती हैं। साधना पथ पर चलते हुए व्यक्ति आत्मा से जुड़ने का प्रयास करता है और माया के बंधनों से मुक्त होने की ओर अग्रसर होता है।
साधना के विभिन्न तरीके हो सकते हैं:
ध्यान (Meditation): ध्यान साधना के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। इसमें व्यक्ति अपनी सोच और विचारों को नियंत्रित करता है, ताकि वह अपने भीतर की शांति और आत्मा की गहराई को अनुभव कर सके।
भक्ति (Devotion): भगवान के प्रति समर्पण और भक्ति से भी आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। भक्ति के माध्यम से व्यक्ति अपने ह्रदय में प्रेम और श्रद्धा का विस्तार करता है, जिससे वह आत्मा के सत्य से जुड़ता है।
योग (Yoga): योग के माध्यम से शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित किया जाता है। यह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शांति के लिए बहुत आवश्यक है।
सत्संग (Satsang): संतों के साथ बैठकर उनका उपदेश सुनना भी आत्मज्ञान प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। इससे व्यक्ति अपने जीवन के उद्देश्य को समझता है और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त करता है।
आत्मज्ञान और साधना पथ दो पहियों की तरह होते हैं। आत्मज्ञान व्यक्ति को यह समझने में मदद करता है कि वह क्या है और उसकी वास्तविक पहचान क्या है, जबकि साधना पथ उसे इस ज्ञान को अपने जीवन में उतारने का मार्ग दिखाता है।
जब व्यक्ति साधना के पथ पर चलता है, तो उसे धीरे-धीरे आत्मज्ञान का अनुभव होता है और वह स्वयं को उस परम सत्य से जोड़ता है, जो हर जगह विद्यमान है। इस यात्रा में समय, संयम, और एकाग्रता की आवश्यकता होती है।
Domestic Shipping: 3-4 Days (after shipping)
International Shipping: 1-2 weeks (based on your location)
You will receive an email once your order has been shipped or you can email us if you didn't receive tracking details (info@mlbd.co.in)
Every book that we sell is the latest edition except all the rare books
Yes, we do provide free shipping, only on domestic orders (within India) above Rs.1500