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बौद्ध धर्म और भारतीय संस्कृति एक गहरे और अनूठे संबंध में बंधे हुए हैं। बौद्ध धर्म ने भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला है, और इसके सिद्धांतों और शिक्षाओं ने समाज, कला, साहित्य, और दर्शन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बौद्ध धर्म की स्थापना 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध ने की थी। बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था और वे भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा देने के लिए यात्रा करते थे। उनके विचारों ने भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धारा को प्रभावित किया।
बौद्ध धर्म के मुख्य सिद्धांतों में "चार आर्य सत्य" और "आठ गुना मार्ग" शामिल हैं:
चार आर्य सत्य:
निर्वाण: यह अंतिम लक्ष्य है, जो बोधि प्राप्ति और दुःख से मुक्ति के रूप में समझा जाता है।
बौद्ध धर्म ने भारतीय संस्कृति में कई प्रकार से योगदान किया:
धार्मिक दृष्टिकोण: बौद्ध धर्म ने वैदिक धर्म की शरणवादी पूजा प्रणाली को चुनौती दी और आत्म-निर्भरता, ध्यान और साधना को प्रमुख किया। इससे भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता और विविधता की भावना को बल मिला।
समाज में बदलाव: बौद्ध धर्म ने जातिवाद और वर्ण व्यवस्था को चुनौती दी, और सभी व्यक्तियों को समान माना। इसके कारण बौद्ध धर्म में भिक्षुओं और भिक्षुणियों के रूप में एक समान सामाजिक स्थिति की पेशकश की गई।
कला और वास्तुकला: बौद्ध धर्म ने भारतीय कला में नए आयाम जोड़े, जैसे बौद्ध स्तूप, चित्रकला, और मूर्तिकला। बोधि वृक्ष, बुद्ध की मूर्तियाँ, और अर्धव्यासित हाथों वाली बुद्ध की छवियाँ बौद्ध कला के प्रमुख उदाहरण हैं।
विज्ञान और दर्शन: बौद्ध दर्शन ने मन और चेतना के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया, जो भारतीय दर्शन की परंपरा को समृद्ध करता है। बौद्ध तर्कशास्त्र ने तर्क, अनुभव और तात्त्विक विचार के महत्व को बढ़ाया।
साहित्य: बौद्ध धर्म के साहित्य में बुद्ध के उपदेशों, उनके जीवन के किस्सों, और बोधिसत्त्व के सिद्धांतों का समावेश होता है। "दामपद" और "जataka कथाएँ" बौद्ध साहित्य के प्रसिद्ध उदाहरण हैं।
हालांकि बौद्ध धर्म ने भारत में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन समय के साथ, विशेष रूप से मध्यकाल में, यह भारत में कम होता गया। इसके पीछे कई कारण थे, जैसे हिंदू धर्म की पुनरुत्थानवादी धाराएँ, इस्लामी आक्रमण, और राजनीतिक कारणों से बौद्ध धर्म की उपेक्षा। फिर भी, बौद्ध धर्म ने भारतीय संस्कृति में स्थायी छाप छोड़ी है और आज भी कई क्षेत्रों में इसका प्रभाव देखा जाता है।
बौद्ध धर्म और भारतीय संस्कृति के बीच एक गहरा और निरंतर संबंध रहा है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और दार्शनिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण रहा है। बौद्ध धर्म ने भारतीय समाज में समता, सहिष्णुता, और आत्म-निर्भरता की भावना को बढ़ावा दिया, जो आज भी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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