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धम्मपद (Dhammapada), एक प्रमुख बौद्ध ग्रंथ है, जो भगवान बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। इसमें कुल 423 श्लोक हैं, जो जीवन, आचार, नैतिकता, और साधना के विभिन्न पहलुओं पर आधारित हैं। यह ग्रंथ पाली भाषा में लिखा गया था, जो कि बौद्ध धर्म का प्राचीनतम साहित्य है। यहाँ पर आपको धम्मपद के कुछ प्रमुख श्लोकों का पाली, संस्कृत, हिंदी, और अंग्रेजी अनुवाद मिलेगा।
पाली:
"मनोज्ञं वाचं कृतमिह तत्किं हेतुमाहुं,
अविज्ञेनेन हुतं समुपसंपन्नं धम्मपदं।"
संस्कृत:
"मनोरञ्जनं वचनं कृतमिह तत्किं हेतुमाहुं।
अविज्ञायेन हुतं समुपसंपन्नं धर्मपदं॥"
हिंदी:
"मनुष्य का भाषाशक्ति और विचार शक्ति बहुत बड़ी होती है,
परंतु अगर उसे दिशा नहीं दी गई हो, तो उसकी शक्ति व्यर्थ हो जाती है।"
अंग्रेजी:
"A man's speech and thoughts are powerful,
but without proper direction, they can be wasted."
पाली:
"मनसोवाभि मनसा मत्तं सदयम् इति कल्पकं।
सामकं समुपन्नं हरिबोधनं एकमुक्तं॥"
संस्कृत:
"मनस एव विमुक्तं, एकमुक्तं साधयते।
सर्वं शुद्धम आचार्येण सत्ताहनं समां विदु।"
हिंदी:
"मनुष्य के मन की शुद्धता ही आत्मिक शांति का कारण बनती है।
जैसे केवल ईश्वर का ध्यान शुद्धता को बढ़ाता है।"
अंग्रेजी:
"Purity of the mind brings spiritual peace,
and like the practice of God’s remembrance, it purifies."
पाली:
"अक्को ढम्मं अरतो महा गच्छ सत्तारं।
सत्तायं सामकं सर्वे एक्वाणोः समणं सुक्हं॥"
संस्कृत:
"एकाग्रता और धारणा से मानव मुक्त होता है,
वह सबको प्रेम का संदेश देता है और आत्मा में संतुलन पाता है।"
हिंदी:
"वह मनुष्य, जो अपने ध्यान और संयम से मुक्त होता है,
वह सच्चे शांति का अनुभव करता है।"
अंग्रेजी:
"One who frees themselves through concentration and discipline,
experiences true peace and conveys love to all."
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