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महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित विशाल महाकाव्य रामायण को संक्षिप्त एवं सरल भाषा में वर्णित करते हुए अनेकों वैज्ञानिक प्रमाणों को सुन्दर चित्रों सहित इस में बुना गया तो सिद्ध हुआ कि रामायण काल्पनिक ग्रंथ नहीं अपितु इस में तो भारत का प्राचीन इतिहास समाहित है।
तारामंडल सॉफ्टवेयर का उपयोग कर रामायण के खगोलीय सन्दर्भों के व्योमचित्र लिए गए; इस प्रकार महत्वपूर्ण घटनाओं की सटीक तिथियां निर्धारित की गयीं। पाठक 5114 वर्ष ई.पू. की चैत्र-शुक्ल नवमी को श्रीराम के जन्म के समय पांच ग्रहों को अपने अपने उच्च स्थान में आकाश में चमकते हुए अयोध्या से देख कर आनंदित हो सकते हैं।
इस पुस्तक में चित्रों तथा प्रमाणों सहित पुरातत्व विभाग द्वारा उत्खनित धनुष व बाण, अंगूठी और चूड़ामणि, चावल व तिल, केले और बरगद आदि के वे प्रमाण शामिल हैं, जिनके अनुसार ये लगभग सात हजार वर्ष पहले भारत में उपलब्ध थे। रामसेतु के बारे में कुछ विश्वसनीय और कुछ अद्भुत तथ्य भी जानें।
श्रीराम ने एक ऐसे आदर्श कल्याणकारी राज्य की स्थापना की थी जो आज तक अतुलनीय है। श्रीराम एक आदर्श समाज सुधारक भी थे जिन्होंने जातिगत भेदभाव के विरुद्ध सख्त संदेश देते हुए ब्राह्मण कुल के पापी रावण का वध कर दिया तथा कोल जनजाति के गुह निषाद, भीलनी और वानर जनजाति के ल्गोन को आदर-सम्मान दिया ।
About the Author
Author, Smt. Saroj Bala had distinguished herself as an officer of the Indian Revenue Service. After retiring as a Member of CBDT, she became a Director of the Institute of Scientific Research on Vedas and plunged herself wholeheartedly into multi-disciplinary scientific research to ascertain the historicity and antiquity of Vedas and Epics. She has authored six books so far.
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