• Rebel Kazi Nazrul Islam- विद्रोही काजी नजरुल इस्लाम
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Rebel Kazi Nazrul Islam- विद्रोही काजी नजरुल इस्लाम

Author(s): S. S. Gautam and Dr. R. M. S. Vijayi
Publisher: Gautam Book Centre
Language: Hindi
Total Pages: 72
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 280.00
Unit price per

Description

काजी नजरुल इस्लाम (1899–1976) बांग्लादेश के एक महान कवि, लेखक, संगीतकार, और क्रांतिकारी थे, जिन्हें "विद्रोही कवी" के रूप में जाना जाता है। उनका जन्म 24 मई 1899 को पश्चिम बंगाल के मयंमनेसिंह जिले के चुरुलिया गांव में हुआ था। काजी नजरुल इस्लाम का लेखन और संगीत बांग्ला साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और उनका कार्य समाज में विद्रोह, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को बढ़ावा देने वाला था।

काजी नजरुल इस्लाम का साहित्यिक योगदान:

  1. काव्य और गीत: काजी नजरुल इस्लाम की कविता और गीतों में विद्रोह, इंसाफ, और मानवता के विचार प्रमुख रूप से व्यक्त होते हैं। उनकी रचनाओं में धर्मनिरपेक्षता और समानता का संदेश साफ तौर पर दिखाई देता है। उनके कई गीत स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक बने। उनके प्रसिद्ध गीत "चले चलो" और "नया नवा जोश" आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।

  2. विद्रोह और राष्ट्रीयता: वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सक्रिय भागीदार थे। उनकी कविताओं और गीतों में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ और भारतीय समाज के उत्पीड़न के खिलाफ गहरी निंदा होती है। उनका काव्य संग्रह "बिद्रोही" (विद्रोही) इसके प्रमुख उदाहरण के रूप में देखा जाता है, जिसमें उन्होंने संघर्ष, विद्रोह, और समानता की आवाज उठाई।

  3. धार्मिक सहिष्णुता: काजी नजरुल इस्लाम के साहित्य में धार्मिक भेदभाव और असहिष्णुता के खिलाफ एक सशक्त संदेश है। वे एक मजबूत धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के समर्थक थे और उन्होंने अपनी रचनाओं में सभी धर्मों और समुदायों के बीच समानता की बात की।

  4. संगीत और नृत्य: वे एक बेहतरीन संगीतकार भी थे। उन्होंने बांग्ला संगीत को नया रूप दिया, और उनके द्वारा रचित रचनाओं में "नजरुल गीत" (Nazrul Geeti) की एक विशिष्ट शैली है।

काजी नजरुल इस्लाम की प्रमुख रचनाएँ:

  • बिद्रोही (Bidrohi): यह उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता है, जिसमें उन्होंने समाज के शोषण और असमानता के खिलाफ विद्रोह की भावना को व्यक्त किया।
  • रक्तरंजीत (Raktaranji): यह कविता भी उनके विद्रोही विचारों का प्रतीक है।
  • कृष्णकान्त का वशीकरण (Krishnakanta's Will): यह उनकी गद्य रचनाओं में एक महत्वपूर्ण कार्य है।
  • नजरुल गीति: उनकी संगीत रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हुईं, जो सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित थीं।

काजी नजरुल इस्लाम का संघर्ष:

काजी नजरुल इस्लाम का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और ब्रिटिश शासकों के खिलाफ आवाज उठाई। 1920 के दशक में उन्होंने अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य की आलोचना की। इसके कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

काजी नजरुल इस्लाम का धरोहर:

काजी नजरुल इस्लाम का योगदान बांग्लादेश के साहित्य और संगीत में अमूल्य है। उन्हें "बांग्लादेश का राष्ट्रीय कवि" भी माना जाता है। उनके विचार और रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य, संगीत और राजनीति में प्रासंगिक हैं।