• Sant Kabir Vichar Darshan
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Sant Kabir Vichar Darshan

Author(s): S. S. Gautam
Publisher: Gautam Book Centre
Language: Hindi
Total Pages: 303
Available in: Hardbound
Regular price Rs. 750.00
Unit price per

Description

संत कबीर का विचार दर्शन सरल, सटीक और जीवन के मूल तत्वों को समझाने वाला है। उनका उद्देश्य आत्म-ज्ञान, प्रेम, और सत्य की साधना को प्रमुख बनाना था। कबीर का साहित्य मुख्यतः उनके दोहों, श्लोकों और भजनों के माध्यम से प्रस्तुत होता है, जिसमें उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों, भेदभाव और आडंबरों पर गहरा प्रहार किया।

संत कबीर के प्रमुख विचार और दर्शन:

  1. राम-राम का सत्य: कबीर जी ने भगवान के रूप में किसी विशेष देवता या पूजा पद्धति का विरोध किया। उन्होंने कहा कि राम, रहीम, अल्लाह सभी एक ही हैं, और उनका नाम सत्य है। उनका संदेश था कि 'राम-राम' या 'रहीम-रहीम' का उच्चारण हमें अपने दिल से करना चाहिए, न कि केवल जुबान से।

    उदाहरण:
    "राम-रहीम एक हैं, सबका है एक धर्म।
    जो सबका है वही सत्य, वही धर्म है परम।"

  2. समाज सुधार और आडंबर विरोध: कबीर जी ने धर्म, जाति और सामाजिक भेदभाव की आलोचना की। उनका मानना था कि इंसान का मूल्य उसकी जाति, धर्म या किसी बाहरी पहचान से नहीं, बल्कि उसकी अंतरात्मा और आचरण से होता है।

    उदाहरण:
    "जाति ना पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
    मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दे ब्यान।"

  3. आत्म-ज्ञान और साधना: कबीर जी ने अपनी साधना का केन्द्र 'आत्मा' को बनाया। उन्होंने ध्यान, साधना और खुद के अंदर की दुनिया को समझने की प्रेरणा दी। उनका मानना था कि भगवान केवल मंदिरों और मस्जिदों में नहीं है, वह हमारे भीतर है।

    उदाहरण:
    "तू स्वयं भगवान है, ये तू पहचान।
    अपने अंदर ही देख, तू है परमात्मा का रूप महान।"

  4. भक्ति का सरल मार्ग: कबीर जी ने भक्ति को एक सरल और सहज मार्ग बताया। वे कहते थे कि भक्ति किसी विशेष पूजा या कर्मकांड का नाम नहीं, बल्कि यह सत्य और प्रेम के रास्ते पर चलने का एक साधन है।

    उदाहरण:
    "साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
    सुकोमल, मृदु, सहनशील, जैसे सूत सिखाय।"

  5. संत का जीवन: संत कबीर ने बताया कि एक सच्चा संत वह होता है, जो दुनिया से दूर न रहते हुए भी उसमें आसक्त नहीं होता। संत का जीवन संघर्ष, तपस्या और सत्य के प्रति निष्ठा का उदाहरण होता है।

    उदाहरण:
    "संतन का संग, सच्चा है धर्म।
    संसार में भटकते फिरते, ये जीवन को समझ।"

  6. शरीर की नश्वरता: कबीर जी ने मानव शरीर की नश्वरता के बारे में भी सिखाया। उन्होंने बताया कि जीवन का उद्देश्य केवल भोग विलास नहीं है, बल्कि आत्मा की मुक्ति है।

    उदाहरण:
    "गति का मारग है संतो, सबकी एक ही बात।
    शरीर में नाश है, प्रगति की ओर बढ़ो तत्पात।"