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व्याकरणचन्द्रोदय पंचम खण्ड" (Vyakarana Chandrodaya Pancham Khand) चारुदेव शास्त्री द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण पर आधारित एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस पंचम खंड में शिक्षा (Shiksha), संग्या (Sangya), परिभाषा (Paribhasha), और संहिता (Samhita) जैसे संस्कृत व्याकरण के मौलिक और आधारभूत विषयों पर गहरे विस्तार से चर्चा की गई है।
पंचम खंड का उद्देश्य संस्कृत व्याकरण के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट रूप से समझाना और छात्रों, शोधकर्ताओं, और संस्कृत प्रेमियों को व्याकरण के गहरे सिद्धांतों से परिचित कराना है। यह खंड विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो संस्कृत भाषा की संरचना और उसकी नियमावली को सटीक रूप से समझने की इच्छा रखते हैं।
व्याकरण के आधारभूत सिद्धांत:
व्याकरण के सूक्ष्म विवरण:
संस्कृत भाषा का सटीक उच्चारण:
संज्ञा और परिभाषा का अध्ययन:
संहिता के माध्यम से वाक्य निर्माण:
"व्याकरणचन्द्रोदय पंचम खण्ड" चारुदेव शास्त्री द्वारा रचित एक अत्यंत उपयोगी और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो संस्कृत व्याकरण के शिक्षा, संग्या, परिभाषा, और संहिता जैसे बुनियादी विषयों पर विस्तृत और स्पष्ट रूप में प्रकाश डालता है।
यह पुस्तक विशेष रूप से उन छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयुक्त है जो संस्कृत की गहराई से अध्ययन करना चाहते हैं और संस्कृत की सही व्याकरणिक संरचना को समझना चाहते हैं। पंचम खंड संस्कृत की संरचना और शब्द प्रयोग की समग्रता को समझने में एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है।
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