Your cart is empty now.
"स्त्री, दलित और जातीय दंश" (Stree, Dalit aur Jatiye Dansh) भारतीय समाज में महिलाओं, दलितों और विभिन्न जातियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करता है। यह विषय समाज में व्याप्त असमानताओं, भेदभाव और उत्पीड़न के विभिन्न रूपों को उजागर करता है।
भारत में स्त्रियों को लंबे समय से समाज में भेदभाव और असमानता का सामना करना पड़ा है। यह भेदभाव जाति, धर्म, और वर्ग के आधार पर और भी गहरा हो सकता है। महिलाओं के लिए सामाजिक भूमिकाएँ अक्सर पारंपरिक और सीमित होती हैं, जिनमें शिक्षा, रोजगार, और संपत्ति के अधिकारों में सीमाएँ होती हैं। इसके साथ ही, यौन हिंसा, मानसिक उत्पीड़न, और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएँ भी महिलाओं के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।
दलित वर्ग भारतीय जातिवाद प्रणाली में सबसे निचले पायदान पर है। उन्हें समाज में निचले स्तर पर रखा गया है और विभिन्न प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ता है। दलितों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्राप्त करना भी बहुत कठिन होता है। इसके अलावा, वे जातीय भेदभाव, शारीरिक और मानसिक हिंसा का शिकार होते हैं। दलितों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कई सामाजिक आंदोलनों ने संघर्ष किया है, लेकिन उन्हें अभी भी न्याय और समानता की पूरी प्राप्ति नहीं हो पाई है।
जातीय दंश भारतीय समाज में जातिवाद की गहरी जड़ें दिखाता है। जातिवाद केवल एक सामाजिक संरचना नहीं, बल्कि एक मानसिकता भी है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच घृणा और भेदभाव उत्पन्न होता है। उच्च जातियों के लोग अक्सर निचली जातियों के लोगों को अपमानित करते हैं, उनके साथ हिंसा करते हैं और उन्हें समाज के मुख्यधारा से बाहर रखते हैं। यह दंश न केवल सामाजिक और आर्थिक स्तर पर होता है, बल्कि मानसिक स्तर पर भी होता है, जिससे पीड़ित जातियों का आत्मसम्मान और पहचान प्रभावित होती है।
Domestic Shipping: 3-4 Days (after shipping)
International Shipping: 1-2 weeks (based on your location)
You will receive an email once your order has been shipped or you can email us if you didn't receive tracking details (info@mlbd.co.in)
Every book that we sell is the latest edition except all the rare books
Yes, we do provide free shipping, only on domestic orders (within India) above Rs.1500